लेखनी प्रतियोगिता -14-Feb-2023...... इश्क़ का गुलाब...
निखिल....निखिल......
हां माँ आया.....।
क्या हुआ माँ..!
बेटा ये लिफाफा तेरी पैंट की जेब से निकला हैं....। तुझे कितनी बार कहा हैं बेटा.... कपड़े अच्छे से चेक करके फिर दिया कर...।
लिफाफा..... लाओ माँ देखता हूँ.... मुझे भी याद नहीं हैं कौनसा लिफाफा हैं...।
निखिल लिफाफा लेकर अपने कमरे में चला गया...। वहाँ जाकर उसने उसे खोला तो उसमें एक लेटर था.....निखिल ने लेटर पढ़ा उसमें लिखा था....
डियर निखिल...
मैं जानती हूँ इस लेटर को पढ़ने के बाद तुम बहुत नाराज होगे...। मैं तुम्हारा रिएक्शन भी जानती हूँ...। लेकिन अब चूंकि कल कॉलेज का आखिरी दिन था...इसलिए बहुत हिम्मत करके अपने पिछले तीन साल से दिल में दबाकर रखीं बातें शेयर कर रहीं हूँ...। मैं जब पहली बार तुमसे मिलीं तो सोचा नहीं था तुम इस तरह मेरे दिल में बस जाओगे...। यकीन मानो मैं हर दिन कॉलेज सिर्फ तुम्हे देखने आती थीं..। मैं बहुत बार हिम्मत करके तुम्हें अपने जज्बात बताना चाहतीं थीं... पर हर बार सोचकर रह जाती थीं...। सिवाय तुम्हारे मैंने तीन सालों में कभी किसी को अपना दोस्त भी नहीं बनाया...। एक दिन बहुत हिम्मत करके मैं तुमसे बात करने तुम्हारी कक्षा में आई थी.... वहाँ से पता चला की तुम कैंटीन में हो.... मैं कैंटीन की तरफ़ जा रहीं थीं की रास्ते में एक बंद कमरे से मुझे तुम्हारी आवाज आई... मैंने भीतर झांककर देखा तो तुम ईशा की बांहों में थे ओर उससे अपने प्यार का इजहार कर रहें थे...। मैंने पहले इस बारे में सुना तो था पर विश्वास नहीं किया था...। लेकिन उस दिन आंखों से देखा तो विश्वास किया...। उस दिन के बाद भी मेरे दिल से तुम्हारे लिए प्यार कम नहीं हुआ.... मैंने खुद को बहुत समझाया... बहुत रोका पर सब व्यर्थ था...। पता नहीं क्यूँ पर इस दिल को तुम्हारे सिवा कुछ अच्छा ही नहीं लगता...। तीन साल इस दिल पर तुमने राज़ किया हैं...। मैं ये भी जानती हूँ की तुम शायद मुझे ठीक से पहचानते भी नहीं होंगे...। पर दिमाग पर जोर डालोगे तो शायद तुम्हें याद आए... जब तुम्हारी मम्मी की तबीयत खराब हुई थीं... तब मैं उनसे मिलने हास्पिटल आई थीं... ओर तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद का सूजी का हलवा भी लाई थीं....। हां मुझे तुम्हारी पसंद नापसंद सब कुछ पता हैं.... लेकिन शायद तुम्हें मेरा नाम भी नहीं मालूम होगा...। होगा भी कैसे.... मैं कभी सामने आ ही नहीं सकी....। अब अगर तुम ये सोच रहें हो की ये खत तुम्हारे पास कैसे आया तो बता देतीं हूँ.... कल जब हम सभी का फेयरवेल था ... तो सभी एक दूसरे से गले मिलकर विदा ले रहें थे.... उस दिन पहली बार मैंने तुम्हारा स्पर्श महसूस किया था.... ओर उसी वक्त तुम्हारी पाकेट में यह खत रख दिया था.....। अब अगर तुम यह सोच रहें होकी मैं आज ये सब तुमसे क्यूँ कह रहीं हूँ तो वो इसलिए की मैं आज रात की फ्लाइट से हमेशा हमेशा के लिए लंदन जा रहीं हूँ......। अपने एकतरफा प्यार को हमेशा के लिए अपने दिल में बसा कर.....। इस दिल में... मेरी रुह में.... मेरे जहन में सिर्फ तुम ही तुम रहोगे हमेशा....। हमेशा खुश रहना ओर अपने दिल पर कोई बोझ मत लेना..... ईशा बहुत अच्छी लड़की हैं....... मुझसे भी बेहतर हैं ओर तुमसे प्यार भी बहुत करतीं हैं....। उसे अपना जीवनसाथी जरुर बनाना...। तुम दोनों के लिए हमेशा दुआ करतीं रहूंगी....।
इस खत के साथ एक गुलाब भी भेज रहीं हूँ....। ये मेरी तरफ़ से तुम्हारे लिए मेरे प्यार की एक छोटी सी निशानी....।
जानती हूँ वक्त के साथ मुरझाकर ये किसी काम का नहीं रहेगा ओर तुम इसे फेंक दोगे..... ओर यकीन मानो मैं वहीं चाहतीं हूँ....। मैं चाहतीं तो कोई पैंडल, चैन या कुछ ओर भी भेज सकतीं थीं.... पर मैं अपनी कोई भी ऐसी निशानी नहीं चाहतीं जिसे तुम संभाल कर रख सको... क्योंकि मैं तुम्हारे आने वाले भविष्य में किसी भी तरह की रुकावट नहीं बनना चाहतीं....। ओर वैसे भी गुलाब से प्यारी....प्यार की निशानी तो आज तक कुछ बनीं भी नहीं हैं....।
मेरी हर बात का बस इतना फसाना हैं...
एक मेरा दिल ओर उसमें तुझे बसाना हैं...।।
फूल गुलाब का भेज रहें हैं आपके लिए....
लबों से छूकर इसमें जान डाल दिजिए....।।
तुम्हारी और सिर्फ तुम्हारी....... जाह्नवी..... ।
खत पढ़ते ही निखिल ने लिफाफे को टटोला तो उसमें एक प्यारा सा गुलाब भी था....। कुछ पलों के लिए तो निखिल समझ ही नहीं पा रहा था की वो क्या करें....। वो उस गुलाब को बस देखें जा रहा था...। कुछ सोच विचार करने के बाद.... निखिल ने अपनी अलमारी खोली ओर उसमें रखी अपनी डायरी निकाली.... फिर उस डायरी के बीच में उस गुलाब को चूम कर रखा ओर खुद से कहा :- तुम्हारी इस निशानी को मैं हमेशा संभालकर रखूंगा जाह्नवी... ओर दुआ करुंगा तुम जहां भी रहो हमेशा खुश रहो....। हो सकें तो मुझे माफ कर देना.... जाने अनजाने कहीं ना कहीं अगर मेरी तरफ़ से तुम्हें कुछ भी गलत या बुरा लगा हो तो....।
फिर उस गुलाब पर हाथ फेरा कर निखिल ने डायरी में वो खत भी रखकर उसे वापस अलमारी में रख दिया...।
अदिति झा
17-Feb-2023 10:48 AM
Nice
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सीताराम साहू 'निर्मल'
16-Feb-2023 07:18 PM
Nice 👍🏼
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Abhinav ji
15-Feb-2023 08:13 AM
Very nice
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